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12 March, 2012

कल एक झलक जिन्दगी की देखी

मैंने कल एक झलक जिन्दगी की देखी,
वो मेरी राह में गुनगुना रही थी ..
मैंने ढूंडा उसे इधर उधर,
वो आँख मिचोली करके मुस्कुरा रही थी..
एक अरसे के बाद आया मुझे करार,
वो सहला के मुझे सुला रही थी ..
हम दोनों क्यों ख़फ़ा हैं एक-दुसरे से,
मैं उसे और वो मुझे बता रही थी...
मैंने पुछा तूने मुझे ये दर्द क्यों दिया,
उसने कहा -
" मैं जिन्दगी हु तुझे जीना सिखा रही थी ...।।"

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